अभी-अभी हमने मित्रता –दिवस मनाया
है |हमने इस दिवस को मात्र एक फ्रेंडशिप -बैण्ड बाँधने का दिवस बना दिया है |क्या
हमें वास्तव में मित्रता निभानी आती है ?जो मित्र कष्ट ,चिंता ,हानि या संकट में
आपके काम आए वही सच्चा मित्र है |विपत्ति में तो सच्चे मित्र की परख हो जाती है|आज
ऐश्वर्यपूर्ण और वैभवशाली व्यक्ति के तो अनेकों मित्र बन जाते हैं |कहा भी है ,
“कहीं तुम्हारा स्वार्थ लगा है
,कहीं लोभ है मित्र बना |
अत:हमें सच्चे मित्र के गुण अपनाने
चाहिए जिसमें दिखावा न होकर दिल से मित्रता हो |
संगीता जिंदल
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